kojagiri purnima 2019 date in hindi | sharad purnima 2019 date, Wishes, Importance.

kojagiri purnima 2019
kojagiri purnima 2019

Kojagiri Purnima 2019:-

शरद पूर्णिमा (जिसे कुमारा पूर्णिमा, कोजागिरी पूर्णिमा, नवन्ना पूर्णिमा, या कौमुदी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है) एक फसल त्योहार है जो हिंदू चंद्र मास के अश्विन (सितंबर से अक्टूबर) के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। मानसून के मौसम का अंत।

Kojagiri purnima 2019 date:- 13 अक्टूबर 2019 को है। 

ओडिशा में, इस दिन अविवाहित महिलाएं अपने योग्य वर (कुमारा) को पाने की लोकप्रिय धारणा के साथ उपवास रखती हैं। यह त्यौहार सूर्योदय के समय सूर्योदय के समय नारियल, पत्ती से बने एक बर्तन में नारियल, केला, खीरा, सुपारी, गन्ने, अमरूद जैसे 7 फल से भरे हुए नारियल के साथ सूर्य देव का स्वागत करते हुए शुरू होता है। आरती '। शाम को वे तुलसी’के पौधे से पहले चंद्रमा भगवान को अर्पित करने के लिए फल, दही और गुड़ के साथ सुबह के तले हुए धान से युक्त पकवान तैयार करके अपना व्रत तोड़ते हैं। इसके बाद युवतियां गेम खेलती हैं और पूर्णिमा के प्रकाश में गाने गाती हैं।

कोजागरी पूर्णिमा(Kojagiri Purnima) कोजागरा व्रत के पालन की चिंता है। लोग इस व्रत को दिनभर के उपवास के बाद चांदनी के तहत करते हैं। धन की हिंदू देवी लक्ष्मी को इस दिन महत्वपूर्ण रूप से पूजा जाता है क्योंकि यह माना जाता है कि उनका जन्मदिन है। भगवान इंद्र, जो कि भगवान राम हैं, उनके हाथी पर विराजमान हैं, ऐरावत को भी पूजा जाता है क्योंकि भगवान शिव अपनी पत्नी पार्वती और वाहक नंदी के साथ हैं। भक्त रात में व्रत तोड़ते हैं और चावल-दूध चढ़ाने के बाद चंद्रमा-भगवान को अर्पित करते हैं। इस रात का विशद वर्णन ब्रह्म पुराण, स्कंद पुराण और लिंग पुराण में दिया गया है। इन पुराणों में कहा गया है कि देवी लक्ष्मी इस रात के दौरान मनुष्यों के कार्यों को देखने के लिए पृथ्वी का चक्कर लगाती हैं। 

Kojagiri Purnima 2019 Histroy:-

1. शरद पूर्णिमा(Kojagiri Purnima) को लेकर श्रीभगवद्गीता में लिखा गया है की की इस पूर्णिमा की रात श्री कृष्णा के ऐसी बांसुरी बजाई थी की सारी गोपिया इनकी तरफ खींची चली आयी , शरद पूर्णिमा को अनेक नमो से भी जाना जाता है जैसे की 'महारास' और 'रास पूर्णिमा'(Maha Ras Leela or Ras purnima) मान्यता है की इस रात को श्री कृष्णा जी ने हर गोपी के लिए एक एक कृष्णा बनाये थे और पूरी रत यही कृष्णा और गोपिया नाचते रहे जिसे महारास कहा गया इस महारास को लेकर यह भी कहा जाता है की कृष्णा के अपनी शक्ति से इस रात को बह्रमा की एक रात के जितना लम्बा बना दिए था जो की लाखो करोड़ो वर्षो के बराबर होती है। 

2. शरद पूर्णिमा(Kojagiri Purnima) की एक और मान्यता के मुताबिक इस रात धन की लक्ष्मी ने आकाश में वितरण करते हुए कहा था की 'की जाग्रति' का अर्थ है 'कौन जगा हुआ है' ऐसा मन जाता है की जो भी शरद पूर्णिमा की रत जो जगा हुआ होता है लक्ष्मी जी की उस पर खास कृपया बरसाती है। इसी मान्यता के चलते शरद पूर्णिमा को 'कोजागिरी पूर्णिमा'(Kojagiri Purnima) के नाम से भी कहा जाता है। 

3. इस पूर्णिमा को कोजागिरी पूर्णिमा(Kojagiri Purnima) भी कहते है। की इस दिन माता लक्ष्मी का जनम हुआ था इसीलिए शरद पूर्णिमा(Kojagiri Purnima) के दिन भारत देश के कोने कोने में लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है। 

4. शरद पूर्णिमा(Kojagiri Purnima) के दिन कुवारी लड़किया भी अच्छे वर के लिए व्रत रखती है। खासकर ओड़िशा में शरद पूर्णिंमा को(Kojagiri Purnima)(Kumar Purnima) के नाम से बोला जाता है। इस दिन कुवारी लड़कियां भगवान कार्तिक्ये की पूजा करते है और श्याम को चाँद निकलने के बाद व्रत खोलती है।  

5. इन सब मान्यताओं के अलावा भी एक मान्यता है की शरद पूर्णिमा के दिन बनायीं जाने वाली खीर से भी कई मान्यताये है माना जाता है की शरद पूर्णिमा (Kojagiri Purnima) की रात बनने वाली खीर को रात को चाँद की रौशनी के निचे रखने से चर्म रोग, अस्थमा, दिल की बीमारियां, फेफड़ो की बीमारियां और आँखों की जुडी बीमारियों में लाभ होता है।  


Kojagiri Purnima
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Milan Tomic

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